Gratuity को लेकर बड़ा फैसला! रोका जा सकता है आपकी ग्रेच्युटी का भी पैसा

 

Gratuity

ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी पर बकाया (Dues on Employee) है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता है. लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, जस्टिस संजय के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने शनिवार को यह फैसला सुनाया है. बेंच ने कहा कि किसी भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी से दंडात्मक किराया- सरकारी आवास में रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए जुर्माना सहित किराया वसूलने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है.

पीठ ने कहा, 'यदि कोई कर्मचारी निर्धारित किए गए समय से अधिक समय तक कब्जा करता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है. अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं.' बेंच में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और हृषिकेश रॉय भी शामिल थे.

खबर के मुताबिक, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के द्वारा एक कर्मचारी के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है. सेल (SAIL) द्वारा एक कर्मचारी से 1.95 लाख रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रयास किया गया था. उसने अपना बकाया और ओवरस्टाईड क्लियर नहीं किया था. कर्मचारी 2016 में रिटायर होने के बाद भी बोकारो में सरकारी आवास में बना रहा.


जारी की जानी चाहिए Gratuity
हाईकोर्ट ने शीर्ष अदालत के 2017 के आदेश पर भरोसा किया और कहा कि सेल को कर्मचारी की Gratuity तुरंत जारी करनी चाहिए. हालांकि, इसने सेल को सामान्य किराए की मांग को बढ़ाने की इजाजत दी.

क्या हुआ फैसला?
आपको बता दें कि पीठ ने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी तय समय से ज्‍यादा समय तक सरकारी संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है और अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो Gratuity की रकम में से पैसा काटा जा सकता है. हालांकि, न्यायमूर्ति कौल की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों वाली बेंच ने अब यह माना है कि 2017 के आदेश पर कोई भी निर्भरता गलत है क्योंकि यह एक निर्णय भी नहीं है, बल्कि उस मामले के दिए गए तथ्यों पर एक आदेश है. यह स्पष्ट किया कि 2017 के आदेश को एक मिसाल के रूप में नहीं माना जा सकता है.

सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी निर्धारित समय से अधिक समय तक कंपनी द्वारा आवंटित आवास में रहता है या कब्जा करता है, तो उससे जुर्माने के साथ किराया की राशि वसूली जा सकती है. अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं. इस फैसले के बाद स्पष्ट है कि किसी कर्मचारी पर अगर कंपनी का बकाया है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता है.

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