दिल्ली दंगा -- साल 2020 की शुरुआत सीएए और एनआरसी के विरोध के साथ हुई थी, लेकिन फरवरी आते-आते तपिश इतनी ज्यादा बढ़ गई कि दिल्ली इसकी चपेट में आकर झुलस गई। दरअसल, 23 फरवरी से 29 फरवरी तक दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्से में दंगा होता रहा। इस दौरान 53 लोगों ने जान गंवाई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए। इस दौरान कड़ाके की ठंड के बीच शाहीन बाग में सैकड़ों महिलाएं सीएए और एनआरसी के विरोध में महीनों तक सड़क पर बैठी रहीं।
कोरोना वायरस-- दिल्ली दंगों की आंच से देश उबरने के लिए देश होली के रंगों का सहारा ले ही रहा था कि पूरी दुनिया में खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस ने भारत में भी अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया। वैसे तो देश में कोरोना के मामले जनवरी 2020 के दौरान ही सामने आए थे, लेकिन 17 मार्च को कर्नाटक में पहली मौत दर्ज की गई। इसके बाद कोरोना के खूनी पंजों में भारत भी फंस गया और अब तक देश में एक करोड़ से ज्यादा लोग इस खौफनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वहीं, करीब डेढ़ लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।
यस बैंक -- यस बैंक में जिन लोगों का खाता है, वो शायद ही इस घटना को भूल पाएं। दरअसल, 20वीं सदी में किसी बड़े प्राइवेट बैंक के अचानक धड़ाम होने और उसमें लोगों का करोड़ों रुपया फंसने का अपनेआप में अजब मामला था। मार्च 2020 के शुरुआती हफ्ते में आरबीआई ने यस बैंक पर पाबंदियां लगा दीं। इसके तहत ग्राहक अपने ही खाते से एक महीने में 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते थे। दरअसल, इस तरह की पाबंदियां पीएमसी बैंक पर भी लगी थीं, लेकिन उससे प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या यस बैंक के मुकाबले काफी कम थी। आरबीआई की पाबंदी का असर इस कदर हुआ था कि यस बैंक के शेयर के दाम पांच रुपये तक पहुंच गए थे।
पूर्ण लॉकडाउन और प्रवासी मजदूर --कोरोना के चंगुल से देश को बचाने के लिए 25 मार्च से 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लगाया। उस दौरान ट्रेन, बस और हवाई जहाज के साथ-साथ आम जनजीवन भी थम गया। लेकिन इसी दौर में देश ने ऐसा दर्दनाक नजारा देखा, जो इससे पहले 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान ही नजर आया था। दरअसल, दिल्ली-मुंबई में रहने वाले हजारों लोग कोई भी साधन न होने पर पैदल ही अपने-अपने घर जाने लगे। उस दौरान सरकार ने न तो उन लोगों को समझाने की कोशिश की और न ही उनकी कोई मदद। 8 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर सो रहे 16 मजदूरों पर मालगाड़ी गुजरने के हादसे ने इस दर्द को और बढ़ा दिया।
निर्भया कांड के दोषी--देश के इतिहास में 20 मार्च 2020 को इंसाफ की तारीख के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। दरअसल, इसी दिन निर्भया के चारों दोषियों पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को तिहाड़ के जेल नंबर तीन में फांसी के तख्ते पर लटकाया गया और करीब सात साल पहले 16 दिसंबर 2012 की उस खौफनाक रात का हिसाब-किताब कर दिया गया।
शिवराज सिंह चौहान-ज्योतिरादित्य सिंधिया -- साल 2020 के दौरान राजनीति की दुनिया में भी कई उलटफेर हुए। इनमें मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का गिरना और शिवराज सिंह का चौथी बार मुख्यमंत्री बनना भी शामिल है। दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थकों ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से 20 मार्च को इस्तीफा दे दिया। 23 मार्च को शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
अम्फान तूफान-- कोरोना से जूझ रहे देश को बंगाल की खाड़ी में आए अम्फान तूफान ने झकझोर कर रख दिया। इस दौरान देश के पूर्वी हिस्से पश्चिम बंगाल को काफी नुकसान हुआ। तूफान की भयावहता को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो इसे कोरोना महामारी से भी खतरनाक बताया था। अम्फान तूफान की वजह से पश्चिम बंगाल में 13.9 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। उस दौरान करीब 30 हजार घर ढह गए, जबकि 88 हजार हेक्टेयर में खड़ी फसल तबाह हो गई।
टिड्डी दल-- देश के पूर्वी हिस्से में अम्फान तूफान का कहर बरपा तो उत्तरी इलाकों पर पाकिस्तान से आई टिड्डियों ने हमला कर दिया। टिड्डियों के इन दलों ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद कर दी।
भारत-चीन विवाद-- 15-16 जून की रात लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। इस घटना में चीन के करीब 40 सैनिकों के मारे जाने की बात सामने आई, लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की। दरअसल, इस विवाद की शुरुआत 5 और 6 मई की रात से हुई थी। धीरे-धीरे हालात बिगड़ते रहे और 15-16 जून की रात हिंसक झड़प हो गई। ऐसे में भारत ने चीन पर कड़े प्रतिबंध लगाए और करीब 100 चीनी ऐप्लिकेशन पर बैन लगा दिया। साथ ही, देश में चीन के सामान का विरोध भी शुरू हो गया, जिससे चीन को अब तक करोड़ों डॉलर का नुकसान हो चुका है। इसके बावजूद बॉर्डर पर हालात अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं।
राफेल विमान- - चीन से विवाद के बीच पाकिस्तान भी भारत को आंखें दिखाने लगा। ऐसे में 27 जुलाई को फ्रांस से पांच लड़ाकू विमान राफेल भारत पहुंचे, जिससे भारतीय वायु सेना की ताकत काफी बढ़ गई। इन लड़ाकू विमानों को 10 सितंबर को आधिकारिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। इसके बाद चार नवंबर को तीन और राफेल भारत आए, जिसके बाद इनकी कुल संख्या आठ हो गई है। बता दें कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों का सौदा किया है।
विकास दुबे एनकाउंटर- - 3 जुलाई के दिन कानपुर का बिकरू गांव अचानक सुर्खियों में आ गया। दरअसल, यहां कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने अपने साथियों संग पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। ये पुलिसकर्मी विकास दुबे को पकड़ने गए थे, लेकिन उसे दबिश की जानकारी पहले ही मिल गई थी। इस मामले में विकास को मध्यप्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था और कानपुर के पास भागने की कोशिश करते वक्त कथित एनकाउंटर में उसे मार गिराया गया। इस दौरान महज आठ दिन में यूपी पुलिस ने विकास दुबे के पूरे गैंग का सफाया कर दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020- - वैसे तो चुनाव आम बात हैं, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव इसलिए खास रहे, क्योंकि कोरोना काल से जूझ रहे देश में यह पहली लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी, जिसे चुनाव आयोग ने कामयाबी से निपटाया। बिहार में इस बार राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन भाजपा की मदद से जदयू लगातार चौथी बार सरकार बनाने में कामयाब रही।
जीडीपी में गिरावट-- खौफनाक कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया पर पड़ा। इस दौरान कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा, जिनमें भारत भी शामिल है। कोरोना से प्रभावित भारत की जीडीपी में अप्रैल से जून की तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह स्थिति 1996 के जीडीपी आंकड़ों से भी खराब है।
किसान आंदोलन-- साल 2020 की शुरुआत में सीएए-एनआरसी को लेकर विरोध झेलने वाली दिल्ली अब साल जाते-जाते किसानों के गुस्से का शिकार बन रही है। दरअसल, खेती-किसानी में सुधार के मकसद से मोदी सरकार ने तीन नए कृषि कानून तैयार किए, लेकिन किसान लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में पंजाब समेत कई राज्यों के किसान इस वक्त दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
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